Maa Chinnamasta Pratyangira Kavach in Sanskrit and Hindi

माँ छिन्नमस्ता कवच || Maa Chinnamasta Kavacham

छिन्नमस्ता महाविद्या दस महाविद्याओं में पांचवें स्थान की साधना मानी जाती हैं ! छिन्नमस्ता कवच पढ़ने से साधक जीवन में सभी दृष्टियों से सुखी रहता है ।

साधक का शरीर स्वस्थ, सुन्दर और आकर्षक बन जाता है ! साधक को जीवन में धन, धान्य, पृथ्वी, विलासमय भवन, कीर्ति, दीर्घायु ख्याति, यश, वाहन, पुत्र, पौत्र और अन्य सभी भौतिक सुख स्वत: ही प्राप्त होते रहते हैं तथा जीवन में किसी प्रकार का अभाव देखने को नहीं मिलता




हुं बीजात्मिका देवी मुण्डकर्त्रिधरा परा ।

ह्रदयं  पातु सा देवी वर्णिनी डाकिनी युता ।।

श्रीं ह्रीं हुं ऐं चैव देवी पूर्वस्यां पातु सर्वदा ।

सर्वांग मे सदा पातु छिन्नमस्ता महाबला ।

वज्रवैरोचनीये हुं फट् बीजसमन्विता ।

उत्तरस्यां तथाग्नां च वारुणे नैऋतेऽवतु ।।

इन्द्राक्षी भैरवी चैव सितांगी च सहारिणी ।

सर्वदा पातु मां देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै ।।

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Pratyangira Devi

Pratyagira Devi Kavach in Hindi and Sanskrit

प्रत्यंगिरा कवच देव्युवाच भगवन्‌ सर्वधर्मज्ञ सर्वशास्त्रार्थपारग। देव्या: प्रत्यंगिरायाश्च कवचं यत्प्रकाशित।। देवी ने कहा-हे सभी धर्मों को जानने वाले, सभी शास्त्रों

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