प्रत्यंगिरा देवी मंदिर की सम्पूर्ण जानकारी (पूजा और प्रसाद की जानकारी)
प्रत्यंगिरा देवी का मंदिर अपने आप में बहुत ही अद्भूत व सुंदर है क्योंकी माता जी का वास है। उनकी शक्तियां मदिंर के कण-कण में व्याप्त है और भक्तों को असीम शांति का अहसास कराती है।
मां प्रत्यगिरा देवी मंदिर में इनके अस्त्र-शस्त्र का बहुत ही महत्तव हैं- जैस त्रिशूल, डमरू, कपाल और पाश क्योंकि इन्ही शस्त्रों से देवी प्रत्यंगिरा अपने शत्रुओं पूरे साहस के साथ विनाश करती हैं। इसलिए ऐसा माना जाता है कि देवी प्रत्यंगिरा के आशीर्वाद उनके भक्तों को सभी प्रकार का समस्याओं की समाप्ति होती है।
देवी प्रत्यंगिरा- क्यों आते भक्त दूर-दूर से मां को मंदिर दर्शन करने?
भगवती प्रत्यंगिरा देवी का अत्यंत उग्र रूप है और इन्हें शक्ति का परचायक माना गया है। इनकी कृपा से सभी का जीवन सुदर और साथ ही साथ सुखमय हो जाता है और इसीलिये भक्त दूर-दूर से मां को मंदिर आते है ।
मां अपने भक्तों को विजय होने का भाव प्रदान करती है । किंतु इसके साथ ही भक्त के अंदर देवी मां के प्रति अटूट श्रद्धा और विश्वास भी होना चाहिये क्योंकि अटूट श्रद्धा ही भक्त को सफलता दिलाती है।
मां की पूजा उपासना करने से साधक को इच्छित फल की प्राप्ति होती है और साथ ही भक्तों का भविष्य भी सुदृढ करती है। यदि भक्त प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो भी मां की उपासना करना बहुत ही लाभदायक माना जाता है।
यदि लाख परिश्रम के बाद भी आपको किसी कार्य मे सफलता नही मिल रही है तो मां की उपसना करने से सभी प्रकार की सफलता के रास्ते खुल जाते है। इसीलिये मां का आशीर्वाद पाने के लिये भक्त दूर-दूर से आते है।
मां के विभिन्न रुपों को जयकारे लगाये जाते है मंदिरों में –
शास्त्रों के अनुसार, माँ प्रत्यंगिरा को बहुत ही शक्तिशाली देवी के रुप में माना गया है और इसी कारण इनका सिर सिंहिनी और शेष शरीर मनुष्य रुप में हैं। देवी को भद्रकाली का भी स्वरूप माना जाता हैं और इन्हें विभिन्न नामों से भी जाना जाता है जैसे
- श्री विपरीतप्रत्यंगिरा
- श्री महा विपरीतप्रत्यंगिरा
- भद्रकाली
- श्रीप्रत्यंगिरा
- श्री महाप्रत्यंगिरा
- सिंहिनी
- नर सिंहिनी
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